सबके साथ के लिए तरसता था पर सबकी आँखों में चुभता था सबने अकेला छोड़ दिया,एक तोहफा सा दे दिया मुश्किलें तो आई,याद भी आई पर स्वाभिमान से चला,अकेला रोया अकेला हँसा ठोकरों ने सीखा दिया,अब अकेला चल रहा हूँ खुद की मंजिल और होड़, बिना आपाधापी की दौड़ मजा आ रहा है सब साथ के लिए तरस रहे हैं मेरे छाले भी उनको चुभ रहे हैं ! #snehlata #random #poetry #onemanarmy #yqdidi