______________________________________ उसकी सब चीज़े मैंने अब तक रखी हुई है, कुछ सपने हैं उसके और कुछ ख़्वाहिशें रखी हुई है.. उसको देखने से मुतमईन नही होती आंखे, सो पॉकेट में मैंने उसकी एक तस्वीर रखी हुई है...। उस कोने में किताब में एक सूखा गुलाब है, उसी के साथ में उसकी पहली चिट्ठी रखी हुई है.. भीनी सी एक ख़ुशबू आती है मेरी दराज़ से, मेरे कपड़ो के बीच उसकी एक चुन्नी रखी हुई है...। एक कंघा है जिसमें बाल फँसे हुए है उसके, उसकी बिंदी अब भी आइने पे चिपकी हुई है.. पुरानी हो गयी तो उतारी होगी उसने, वो पाजेब की जोड़ी तकिए के नीचे रखी हुई है...। शाम को एक दिन शायद भूल गयी थी यहां, वो बालियां अब भी मेरे फूलदान में रखी हुई है.. इस जगह वो बैठी थी यहां हमने बात की थी, कुछ यादें उसकी मेरे घर के हर कोने में रखी हुई है...। ______________________________________ ©Priyansh Sharma उसकी सब चीज़े मैंने अब तक रखी हुई है, कुछ सपने हैं उसके और कुछ ख़्वाहिशें रखी हुई है.. उसको देखने से मुतमईन नही होती आंखे, सो पॉकेट में मैंने उसकी एक तस्वीर रखी हुई है...। उस कोने में