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भाग रही तरुणाई दुनिया को मान लिया मुट्ठी में मुट्ठ

भाग रही तरुणाई
दुनिया को मान लिया मुट्ठी में
मुट्ठी बंद किए बैठा है
आठ इंच का दृश्य पटल
हर हाथ लिए बैठा है
गली मोहल्ला छोड़ वो
कमरा बंद किए बैठा है
झुके नैन और लटकी मुंडी
आगत को ,सम्मान नही
है किसी और ही दुनिया में वो
उसे अतिथि का भान नही
कभी निकल कर देखा करते
थे हम सड़क में भगती गाड़ी
जो भगा रहा है चलो ठीक
दर्शक की अटकी गाड़ी
कभी मिलन का थी जो साधन
सर पर सी अब चढ़ गई है
बन बाधा सी कही अड़ गई है
बनते बनते बात बिगड़ गई है

©दीपेश
  #स्मार्टफोन #दुविधा