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शाकाहार अपनाएं :-सुखद जीवन बनाएं(Shakahaar apnayen

शाकाहार अपनाएं :-सुखद जीवन बनाएं(Shakahaar apnayen:-sukhad jeevan bnayen)
स्वस्थ रहने के लिए सदैव शाकाहार अपनाएं,शाकाहार अपनाने से ही जीवन सुखद रहेगा और आप लम्बे समय तक जीवित रहेंगे।
अब तो इस प्रतिकूल काल के दंश को झेलकर विज्ञान भी यह मानने लगा है कि सादा जीवन उच्च विचार अर्थात माँसाहार का परित्याग कर शाकाहार को अपनाकर ही एक स्वस्थ और सुखद भविष्य की कल्पना की जा सकती है।
जीवो जीवस्य भोजनं स्वीकारने वाले उस तार्किक मानव समुदाय ने भी अब इस बात का भली-भाँति ज्ञान कर लिया कि जीव को जीव जब भोजन समझने लगेगा, तो एक दिन न एक दिन तो इस प्रकार के पाप के प्रतिफल स्वरूप कुछ सीमा तक तो विनाश लीला का दर्शन करना ही होगा।
नमस्कार और संस्कार की विचारधारा का पोषण व्यक्ति में करने का सामर्थय भी तो केवल और केवल शाकाहार में ही है।

मानव की आहार अभिरुचि परिस्थितिजन्य काल में
सृष्टि में मानव जाति के अभ्युदय के साथ ही उसके संरक्षण के लिए उसमें आहार अभिरुचियों का विकास परमात्मा ने परिस्थितिजन्य काल के अनुरुप किया:-
आदिकालीन मानवीय समुदाय ने शाकाहार के ज्ञान व अनुपलब्धता की स्थिति में जीवन रक्षण के लिए जहाँ माँसाहार को अपनाया,वहीं मध्यकालीन मानवीय समुदाय ने शाकाहार
को इसके ज्ञान के पश्चात तब अपनाया जब उसने कहीं इधर- उधर भटकते हुए एक बीज को धरती पर गिरने के बाद कुछ समय में उसे एक पौधा बनते देखा,जिसके एक पके बीज को तोड़ कर खाने के बाद जब उसे मधुरिम स्वादानुभूति हुई तथा 
आधुनिक कालीन मानवीय समुदाय ने सर्वहार में अपनी अभिरुचि दोनों की उपलब्धता के कारण ही दिखाई।

मानव की विभिन्न प्रकार की आहार अभिरुचियाँ व उसके स्रोत
हमें भली-भाँति यह ज्ञात है कि मानव उत्तरोतर वृद्धि करने वाला प्राणी है और इसकी विकास यात्

©Bharat Bhushan pathak
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