घड़ी भर के लिए भी फुर्सत नहीं, वो फुर्सत के लम्हें आना तुम, शब-ए-वस्ल है और मुख्तसर रातें हैं। कृपया अनुशीर्षक पूर्ण पढ़े। √ आज का विषय है ' घड़ी ' | √ यह विषय shaifali agarwal जी का है। √ आपको अपनी रचना दो पंक्तियों में लिखनी है।