यादों के संजोए में यूं फसे है मकड़ी के जालों में जैसे तितली फिर भी छुटने का प्रयास नहीं हम तो तेरे लिए जी रहे हैं इंतेज़ार तो मौत तक कर लेंगे भेट अगर तुम्हारी हो तो तौफे में मौत भी मंजूर है Challenge-161 #collabwithकोराकाग़ज़ आज कोराकाग़ज़ समूह एक बार फिर चार लेखकों के कोलाब करने योग्य प्रतियोगिता लेकर आया है जिसका नाम है "हम आपके हैं कौन?" तो कोलाब करिए इस ख़ूबसूरत चित्र पर। विषय और शब्द आपकी इच्छानुसार आप चुन सकते हैं। ध्यान रहे आप चाहें जितने भी कोलाब करें परन्तु काॅमेंट अंतिम लेखक ही करे और एक बार ही करे। ऐसा करने से समूह को आपकी रचनाएँ पढ़ने में समस्या नहीं होती। काॅमेंट कैसे करना है वह नीचे दिया गया है। हम आपके हैं कौन? 1- 2- 3-