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【★बेटी★】 बेटी की जिंदगी का तो समाज गर्भ से ही दुश्

 【★बेटी★】
बेटी की जिंदगी का तो समाज गर्भ से ही दुश्मन हो जाता हैं, बहुत दुःख की बात है कि 100 में से 95 %लोग उसे गर्भ के भीतर मारने को पूरी तरह से कोशिस करते है ।
         देखा जाय तो काफी हद तक बेटी और पेड़ की जिंदगी या फिर किस्मत कह सकते है वो,एक जैसी ही होती है।
          बस फर्क इतना ही है कि ,बेटी को गर्भ के अन्दर और पेड़ को गर्भ के बाहर समाज मरता है । अब इन्हे कौन समझाए की जो बेटी होती है वो पृथ्वी की उर्वरा है।और पेड़ नूतनता।
अगर आप देखे तो बेटी की जो जिंदगी (दुनिया) -
माँ के कोख से सुरु होती है ,और पिता के  चरणों से गुरते हुए पति की खुशी की गलीयों से होते हुए बच्चों के सपने को पूरा करने तक की है।।
 वो अपने लिये तो कुछ कर ही नहीं पाती और बदले में उसे क्या मिलता हैं?
सच कहूं तो हम उन्हें एक क़ैद देते हैं, गर्भ में मरने की कोशिस,उनकी इच्छाओं को दबाते है,(यहाँ मत जाओ, ये मत करो,समाज क्या कहेगा .....)
 【★बेटी★】
बेटी की जिंदगी का तो समाज गर्भ से ही दुश्मन हो जाता हैं, बहुत दुःख की बात है कि 100 में से 95 %लोग उसे गर्भ के भीतर मारने को पूरी तरह से कोशिस करते है ।
         देखा जाय तो काफी हद तक बेटी और पेड़ की जिंदगी या फिर किस्मत कह सकते है वो,एक जैसी ही होती है।
          बस फर्क इतना ही है कि ,बेटी को गर्भ के अन्दर और पेड़ को गर्भ के बाहर समाज मरता है । अब इन्हे कौन समझाए की जो बेटी होती है वो पृथ्वी की उर्वरा है।और पेड़ नूतनता।
अगर आप देखे तो बेटी की जो जिंदगी (दुनिया) -
माँ के कोख से सुरु होती है ,और पिता के  चरणों से गुरते हुए पति की खुशी की गलीयों से होते हुए बच्चों के सपने को पूरा करने तक की है।।
 वो अपने लिये तो कुछ कर ही नहीं पाती और बदले में उसे क्या मिलता हैं?
सच कहूं तो हम उन्हें एक क़ैद देते हैं, गर्भ में मरने की कोशिस,उनकी इच्छाओं को दबाते है,(यहाँ मत जाओ, ये मत करो,समाज क्या कहेगा .....)
kamlendra4997

KD

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