a-person-standing-on-a-beach-at-sunset ज़िन्दगी की शाम ढलती चली गई ! उम्मीदें हाथ से फिसलती चली गई ! ये वक़्त का कारवाँ रुका नही कभी, शक्ल मजबूरियाँ बदलती चली गई ! पहुँची न हसरतें मंज़िले मक़सूस तक, नाकामियाँ हमें निगलती चली गई ! ©BABAPATHAKPURIYA #SunSet हिंदी शायरी दोस्ती शायरी शायरी दर्द शायरी हिंदी में 'दर्द भरी शायरी'#sayar