कुछ इस तरह रहा ज़िंदगी का मंज़र हमारी , जब उठी लौ प्रीत की दिल में हर बार ज़ालिम बारिश ने बौछार की ।। -©अभिषेक अस्थाना(स्वास्तिक) कुछ इस तरह रहा ज़िंदगी का मंज़र हमारी , जब उठी लौ प्रीत की दिल में हर बार ज़ालिम बारिश ने बौछार की ।। -©अभिषेक अस्थाना(स्वास्तिक)