पल्लव की डायरी ठगे हुये से,हाथ मल रहे है अरमानो के दीप बुझ रहे है शोर चारो ओर दमन का चल रहा है व्यवस्थाओ में घुन लग रहा है अफरा तरफी का माहौल चल रहा है जीवन बचाने का संघर्ष चल रहा है जालिम हो चली है सरकारे जनता से कोई सरोकार नही रहा है निचोड़कर आम आदमी को महँगाई से रसोई का मिजाज बिगड़ रहा है सोच सोच कर सभी का दम निकल रहा है आजीविका मेट कर,जग में सत्ताओ द्वारा झूठ का करोबार चल रहा है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #MereKhayaal जीवन बचाने का संघर्ष चल रहा है #MereKhayaal