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"केश" .................. ऐ बाल प्रिये, तु इतना क्य

"केश"
..................
ऐ बाल प्रिये, तु इतना क्यो झड़ता है?
क्या नाराज है मुझसे?
जो यु रोज बरसता है।
ऐ बाल प्रिये, तु इतना क्यो झड़ता है?
तु सौंदर्य है मेरा, तब क्यो मुरझा सा जाता है?
तु तो शरीर का महत्वपुर्ण अंग कहलाता है।
तब मेरे जड़ो को क्यो नही मजबूती से पकड़ता है?
बोल किसके आँखो मे तु गड़ता है?
ऐ बाल प्रिये, तु इतना क्यो झड़ता है?
~अँजलि सिँह झड़ते हुए बालो पर मेरी छोटी कविता
"केश"
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ऐ बाल प्रिये, तु इतना क्यो झड़ता है?
क्या नाराज है मुझसे?
जो यु रोज बरसता है।
ऐ बाल प्रिये, तु इतना क्यो झड़ता है?
तु सौंदर्य है मेरा, तब क्यो मुरझा सा जाता है?
तु तो शरीर का महत्वपुर्ण अंग कहलाता है।
तब मेरे जड़ो को क्यो नही मजबूती से पकड़ता है?
बोल किसके आँखो मे तु गड़ता है?
ऐ बाल प्रिये, तु इतना क्यो झड़ता है?
~अँजलि सिँह झड़ते हुए बालो पर मेरी छोटी कविता
anjalsingh7010

Anjal Singh

New Creator

झड़ते हुए बालो पर मेरी छोटी कविता