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जो स्वयं का विरोध कर, खुशियों के अंत का प्रभारी है

जो स्वयं का विरोध कर,
खुशियों के अंत का प्रभारी है।
अकेलापन महसूस होना,
बहुत गंभीर बीमारी है।

 स्वयं तो ढंग से जी नहीं पाता
ना दूसरो को जीने देता है।
खुद की परछाईं का डर भी,
अत्याचारी का रूप ले लेता है।

ऐसे स्वभाव का एकमात्र,
मन ही उपचारी हैं।
अकेलापन महसूस होना,
बहुत गंभीर बीमारी है।।

 विकल्प ढूंढने लगता हैं इंसान,
खुद को दोषी ठहराता है।
थक, हार कर एक दिन वो,
काल को स्वयं  बुलाता है।

अंत नहीं पर जिसका कोई,
मनोबल तोड़ना ही जिम्मेदारी है।
अकेलापन महसूस होना,
बहुत गंभीर बीमारी है।।

©Satish Kumar Meena अकेलापन: एक बीमारी

अकेलापन: एक बीमारी

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