जिन्दगी ये क्या है ये जानू न मैं, रूह भी जिस्म के साथ रहती नहीं। घट रही हर पल जिन्दगी ऐसे, उम्र लगता है शेष बची ही नहीं। हर गम को खुशी समझ का जियू, फिर भी लगता है मय में कुछ है ही नहीं। रूह भी काप उठती उल्फते देखकर, ऐसा लगता है जीना सरल ही नहीं। जिंदगी ये क्या है ये................, रूह भी जिस्म के साथ.............। रूह से जिस्म......!