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वो अब घर जोड़ने की बात करते है जो खुद घर छोड़ कर

वो अब घर जोड़ने की बात करते है 
जो खुद घर छोड़ कर आए हुए है
वो कैसे देश से इधर से उधर जा सकते हैं
 हुआ था कुछ वर्षों पहले
 इक हादसा समझकर उसे भूलकर आए हुए हैं
हिन्दू  मुस्लिम सिख ईसाई जो एक हैं
उनके दिल में अब धर्म से दीवारें खींचने का
                हौसला कैसे हो सकता हैं
कुछ चंद कागजों से अब इनके
        जलील होने का फैसला कैसे हो सकता है
इतने बड़े देश में पगडेंदी से भी चोटी
सोच रखने वाला रखवाला कैसे हो सकता हैं
खून का  कतरा बहाया जिसने
 इस देश की जमीन के लिए
ये देश अब उनके लिए पराया कैसे हो सकता हैं
अरे उनको क्या पता जिसने 
बिन धर्म जाति पूछे खून  से सींचा
इस देश की नीव को
 उनके घर  और वो खुद
         आज रोड पे आए हुए है
वो कैसे देश से इधर से उधर जा सकते है
जो हुआ था कुछ वर्षों पहले
 इक हादसा समझकर उसे भूलकर आए हुए हैं लोगो का बटवारा
वो अब घर जोड़ने की बात करते है 
जो खुद घर छोड़ कर आए हुए है
वो कैसे देश से इधर से उधर जा सकते हैं
 हुआ था कुछ वर्षों पहले
 इक हादसा समझकर उसे भूलकर आए हुए हैं
हिन्दू  मुस्लिम सिख ईसाई जो एक हैं
उनके दिल में अब धर्म से दीवारें खींचने का
                हौसला कैसे हो सकता हैं
कुछ चंद कागजों से अब इनके
        जलील होने का फैसला कैसे हो सकता है
इतने बड़े देश में पगडेंदी से भी चोटी
सोच रखने वाला रखवाला कैसे हो सकता हैं
खून का  कतरा बहाया जिसने
 इस देश की जमीन के लिए
ये देश अब उनके लिए पराया कैसे हो सकता हैं
अरे उनको क्या पता जिसने 
बिन धर्म जाति पूछे खून  से सींचा
इस देश की नीव को
 उनके घर  और वो खुद
         आज रोड पे आए हुए है
वो कैसे देश से इधर से उधर जा सकते है
जो हुआ था कुछ वर्षों पहले
 इक हादसा समझकर उसे भूलकर आए हुए हैं लोगो का बटवारा
vikramsingh5211

Vikram Singh

New Creator

लोगो का बटवारा