सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी बूढ़े भारत में भी आई फिर से नयी जवानी थी गुमी हुई आज़ादी की क़ीमत सबने पहचानी थी दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी। चमक उठी सन सत्तावन में, वह तलवार पुरानी थी बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी। #NojotoQuote veer kavita follow me