लेकिन वह समझ सिर्फ एक उलझन था, क्या पूछा क्यूं? वह बारिश! वह बारिश में भीगने के बाद वह मिटी! भी उसे अपना समझ ता था, लेकिन सिर्फ खुसबू के बाद सब कुछ सागर का था।। वह रेल! की हर एक चक्री जब दोनों धार को छूकर जा रह थे, उन दो धार ने अपने उपर एक छत! को देख कर खुस्नामा हो रह थे। लेकिन वह कभी एक नहीं हो रह पाए। वह जौबन की उल्सी फूलों को देख कर वह पैर! भी उसे अपना समझ बैठा था। लेकिन समय की मलय बासनाओं पर पता! भी गिर गया और फूलों कि खुशबु! तो कब से भवरून ने निकल लिया था। तुम्हें अपना समझते थे, नहीं दुनिया समझते थे। #अपनासमझे #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi