अं।खे मै तेरी रोज शाम सवेर देखता हूं क्या करू मै इसमे तेरा फरेब देखता हूं सच मालूम है पर दिल के हाथो मजबूर हूं नाच उठता हू मै,जब तेरे पैरो मे पाजेब देखता हू पाजेब