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क्यों औरते अपनी उम्र के किसी मोड़ पर "बागी" हो जात

क्यों औरते अपनी उम्र के किसी मोड़ पर "बागी" हो जाती है। हम सभी ने नारियों के विषय में कईं लेख पढे। देखा, सुना और जाना कैसे नारियों का शोषण होता है। न वो अपने मायके की रहती है और न ससुराल की। हर जगह से उसे बस यही सुनना पड़ता है कि ये घर तुम्हारा नही। अपने मायके में पली बढी संस्कारों से लिपटी लडकी डरी सी सहमी सी ससुराल में प्रवेष करती है। हर किसी का मन जीतने की कोशिशें करती है पर कई बार असफल हो जाती है। यह सब कुछ अरेंज मैरेज में ही घटता है लव मैरेज में नही यह सोंच गलत है। हर लडकी को अपनी शादीशुदा जिंदगी में अडचने आती ही है। लव मैरेज में भले ही सास ससुर देवर,ननंद से मुक्ति मिल गयी हो पर पति का गुस्सा बिना किसी के मध्यस्थि के झेलना और अपने वैवाहिक जीवन को बचाए रखने की उलाढाल करनी ही पडती है। हर प्रकार की शादियों में "एडजस्टमेंट" ज्यादातर औरतों को ही करना पडता है। 
वह देखती है,सँभलती है,झेलती है,टूटती है वापस हिम्मत जुटा खडी होती है और इन सभी प्रक्रियाओं में एक मोड़ ऐसा भी आता है कि वह अपने हर संघर्ष से कुछ न कुछ सीख कर बागी बन जाती है। उसे कुछ दशक विवाह के बंधन में रहने के बाद आभास हो जाता है की जिंदगी की नैय्या उसके बिना आगे बढेगी नहीं। वह शुरु करती है विरोध करना। अपने साथ घट रहे हर अन्याय का,हर पीडा को खत्म करना चाहती है। उसे किसी पुरुष की जरूरत नही होती। वह अपने आपको इतनी सक्षम बना लेती है कि समाज का डर भी उसके भीतर से निकल जाता है और मन में पनप रही बदले की भावनाओं को अंजाम देने लगती है। "आज तेरी बारी तो कल मेरी" यह बात प्रमाणित करती है। 
इसीलिए कभी किसी स्त्री को इतना भी हैरान परेशान न करना की समय का पलडा़ पलटने पर आपको उससे डर लगने लगे। उनकी लाचारी का, उनकी अच्छाई का इतना भी फायदा न उठाना की एक दिन समय उसका हो और आप इस दुनिया से उसकी वजह से हमेशा के लिए "उठ" रहे हो। 
अपने हमसफर का सम्मान करे,उन्हे भी अपनी बराबरी का दर्जा दे। यह बात सभी पर लागू होती है। कुछ पढेलिखे साक्षात्कार लोग,भेड़ की खाल में गीदड की भूमिका निभा रहे होते है और घर की चारदीवारी में अपनी पत्नी का शोषण कर रहे होते है। सिर्फ अंपढ लोग,गाँव के गरीब लोग ऐसा बर्ताव नही करते,बल्कि समाज के प्रतिष्ठित लोग भी इसमें शामिल होते है। 
समय की चाल को कोई नही समझ पाया है,हर किसी को वो खुद को आज़माने का मौका जरूर देता है।।
#yqbaba #yqdidi
क्यों औरते अपनी उम्र के किसी मोड़ पर "बागी" हो जाती है। हम सभी ने नारियों के विषय में कईं लेख पढे। देखा, सुना और जाना कैसे नारियों का शोषण होता है। न वो अपने मायके की रहती है और न ससुराल की। हर जगह से उसे बस यही सुनना पड़ता है कि ये घर तुम्हारा नही। अपने मायके में पली बढी संस्कारों से लिपटी लडकी डरी सी सहमी सी ससुराल में प्रवेष करती है। हर किसी का मन जीतने की कोशिशें करती है पर कई बार असफल हो जाती है। यह सब कुछ अरेंज मैरेज में ही घटता है लव मैरेज में नही यह सोंच गलत है। हर लडकी को अपनी शादीशुदा जिंदगी में अडचने आती ही है। लव मैरेज में भले ही सास ससुर देवर,ननंद से मुक्ति मिल गयी हो पर पति का गुस्सा बिना किसी के मध्यस्थि के झेलना और अपने वैवाहिक जीवन को बचाए रखने की उलाढाल करनी ही पडती है। हर प्रकार की शादियों में "एडजस्टमेंट" ज्यादातर औरतों को ही करना पडता है। 
वह देखती है,सँभलती है,झेलती है,टूटती है वापस हिम्मत जुटा खडी होती है और इन सभी प्रक्रियाओं में एक मोड़ ऐसा भी आता है कि वह अपने हर संघर्ष से कुछ न कुछ सीख कर बागी बन जाती है। उसे कुछ दशक विवाह के बंधन में रहने के बाद आभास हो जाता है की जिंदगी की नैय्या उसके बिना आगे बढेगी नहीं। वह शुरु करती है विरोध करना। अपने साथ घट रहे हर अन्याय का,हर पीडा को खत्म करना चाहती है। उसे किसी पुरुष की जरूरत नही होती। वह अपने आपको इतनी सक्षम बना लेती है कि समाज का डर भी उसके भीतर से निकल जाता है और मन में पनप रही बदले की भावनाओं को अंजाम देने लगती है। "आज तेरी बारी तो कल मेरी" यह बात प्रमाणित करती है। 
इसीलिए कभी किसी स्त्री को इतना भी हैरान परेशान न करना की समय का पलडा़ पलटने पर आपको उससे डर लगने लगे। उनकी लाचारी का, उनकी अच्छाई का इतना भी फायदा न उठाना की एक दिन समय उसका हो और आप इस दुनिया से उसकी वजह से हमेशा के लिए "उठ" रहे हो। 
अपने हमसफर का सम्मान करे,उन्हे भी अपनी बराबरी का दर्जा दे। यह बात सभी पर लागू होती है। कुछ पढेलिखे साक्षात्कार लोग,भेड़ की खाल में गीदड की भूमिका निभा रहे होते है और घर की चारदीवारी में अपनी पत्नी का शोषण कर रहे होते है। सिर्फ अंपढ लोग,गाँव के गरीब लोग ऐसा बर्ताव नही करते,बल्कि समाज के प्रतिष्ठित लोग भी इसमें शामिल होते है। 
समय की चाल को कोई नही समझ पाया है,हर किसी को वो खुद को आज़माने का मौका जरूर देता है।।
#yqbaba #yqdidi
ashagiri4131

Asha Giri

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