तेरे दूर होने से तबियत बिगड़ जाती है। हकीम ने तेरे पास रहने के परहेज बताए हैं।। दिल मे जगह दे या घर के दरवाजे पे। हम तो जायदाद मे बेदखल लिखा आए है।। जरा भी खलल ना डाले इबादते-ए-महोबत मे। हम अच्छे से रिस्तेदारों को समझा आए है।। अब घर की चौकठ पे पांव रखना भी मना है मेरा। इक तेरे पास रहने की खातिर सब गवां आए है।। सर पे कपड़ा है और सजदे मे है सर। जैसे हम घर खुदा के आए है ।। ©Mansal Taak #ज़िन्दगी_का_फलसफा