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कुसुम से तुमने सराहा है हृदय को बीजकर कितने न जाने

कुसुम से तुमने सराहा है हृदय को
बीजकर कितने न जाने भाव पोषे
स्वप्न की उंगली पकड़कर चल पड़ा मन
कल्पना के उत्स पर यों आंख मीचे
और जग के अर्थ ने विस्तार पाया
सामर्थ्य का संकुल बनी ये स्थूल काया
भक्त और भगवान के मध्यस्थ पुल सा
नाभिकीय अध्यात्म का विज्ञान आया
एक आकर्षण बंधा ब्रह्माण्ड जिससे
प्रेम जिसका काव्य ने प्रतिरूप पाया #toyou #yqdreams #yqeyes #yqlove #yqscience #yqspirituality #yqplanets #yqlife
कुसुम से तुमने सराहा है हृदय को
बीजकर कितने न जाने भाव पोषे
स्वप्न की उंगली पकड़कर चल पड़ा मन
कल्पना के उत्स पर यों आंख मीचे
और जग के अर्थ ने विस्तार पाया
सामर्थ्य का संकुल बनी ये स्थूल काया
भक्त और भगवान के मध्यस्थ पुल सा
नाभिकीय अध्यात्म का विज्ञान आया
एक आकर्षण बंधा ब्रह्माण्ड जिससे
प्रेम जिसका काव्य ने प्रतिरूप पाया #toyou #yqdreams #yqeyes #yqlove #yqscience #yqspirituality #yqplanets #yqlife