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एक गंदी कविता, ना नियमों का बंधन, ना शब्दों की संह

एक गंदी कविता,
ना नियमों का बंधन,
ना शब्दों की संहिता,

कभी बात लिखें हालिया सियासत की,
कभी बात लिखें बरबाद होती चाहत की,
ना सर हो ना पैर हो ना उसकी ताल हो,
मतलब ना कोई,ना लिखने पे मलाल हो !

कभी कोई पुरानी सी कही कहावत की,
कभी चर्चा नए जमाने की निहायत ही,
ना तुक हो,ना तर्क हो,ना कोई हाल हो,
बस पूछे ना कोई,ना उठता सवाल हो,

कलम रोई,कागज चीखा
पढने वाले का क्या होगा
एक गंदी कविता ।। एक गंदी कविता,
ना नियमों का बंधन,
ना शब्दों की संहिता,

कभी बात लिखें हालिया सियासत की,
कभी बात लिखें बरबाद होती चाहत की,
ना सर हो ना पैर हो ना उसकी ताल हो,
मतलब ना कोई,ना लिखने पे मलाल हो !
एक गंदी कविता,
ना नियमों का बंधन,
ना शब्दों की संहिता,

कभी बात लिखें हालिया सियासत की,
कभी बात लिखें बरबाद होती चाहत की,
ना सर हो ना पैर हो ना उसकी ताल हो,
मतलब ना कोई,ना लिखने पे मलाल हो !

कभी कोई पुरानी सी कही कहावत की,
कभी चर्चा नए जमाने की निहायत ही,
ना तुक हो,ना तर्क हो,ना कोई हाल हो,
बस पूछे ना कोई,ना उठता सवाल हो,

कलम रोई,कागज चीखा
पढने वाले का क्या होगा
एक गंदी कविता ।। एक गंदी कविता,
ना नियमों का बंधन,
ना शब्दों की संहिता,

कभी बात लिखें हालिया सियासत की,
कभी बात लिखें बरबाद होती चाहत की,
ना सर हो ना पैर हो ना उसकी ताल हो,
मतलब ना कोई,ना लिखने पे मलाल हो !
namitraturi9359

Namit Raturi

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