अये फराज मुझे ना देख वहशी आँखों से दिल रो पड़ता है जब चलना होता है बैशाखियों से बैशाखियों से चलना कमज़ोरी नही मेरी बैसाखिया भी रो पड़ती है जब पता चली है 'हकीकत ए दांस्ता मेरी ©Aditya Vishwakarma #आदित्य