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यूं मंज़र-ए-सुबह से पहले रात बेतहाशा घनी होती है,

यूं मंज़र-ए-सुबह से पहले रात बेतहाशा घनी होती है,
अंधेरा कितना भी घना हो सहर की कब कमी होती है|
#तन्मय

©Tanmay Pandey #Walk
यूं मंज़र-ए-सुबह से पहले रात बेतहाशा घनी होती है,
अंधेरा कितना भी घना हो सहर की कब कमी होती है|
#तन्मय

©Tanmay Pandey #Walk