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हवाएँ चले ऐसी की शहर ये पूरा ठहर जाये तू जाना चाहे

हवाएँ चले ऐसी की शहर ये पूरा ठहर जाये
तू जाना चाहे मगर चारा न कोई नज़र आये
लिपटी रहे बाहों में यूँ और रात गुज़र जाये,
तेरी आँखों में मैं, मेरी आँखों में तू उतर जाये...

Pradeep - 08/01{/19

हवाएँ चले ऐसी की शहर ये पूरा ठहर जाये तू जाना चाहे मगर चारा न कोई नज़र आये लिपटी रहे बाहों में यूँ और रात गुज़र जाये, तेरी आँखों में मैं, मेरी आँखों में तू उतर जाये... Pradeep - 08/01{/19

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