अपने पराए कहानी अनुशीर्षक में👇👇 एक दिन हमारी कॉलोनी में एक दिन अचानक से पार्क में एक अधेड़ उम्र की महिला आ कर रहने लगी। कॉलोनी वाले इस बात पर चर्चा की, कौन है कहांँ से आई है या किसी के घर काम करने ले लिए आई है क्या? लेकिन जब सबको पता चला कि वो गांँव से आई है और उसके बेटे बहू ने घर से निकाल दिया, और कहा था कि वापस ना आना। कॉलोनी के कुछ लोग शाम को पार्क टहलने के लिए गए तो उससे पूछा कि ऐसे कब तक यहांँ रहोगी कुछ तो अपना रहने का ठिकाना बना लो। वो बोली अभी मेरे पास खाने के लिए तो एक रूपया तो है नहीं, रहने का व्यस्था कहांँ से करूंँगी। सबने बोला ऐसे कहांँ रहोगी? वो बोली मेरे पास एक छोटा सा टीन का बॉक्स है और इसी में कुछ कपड़े और एक छोटी सी ताला चाबी। अगर आप लोग में से कोई मेरा यह समान कुछ दिनों के लिए रख ले तो मैं अपना रहने का इंतजाम कर लूँगी। अगर किसी को कोई कामवाली बाई चाहिए तो मैं तैयार हूंँ काम करने के लिए। कॉलोनी में सबसे बड़ा घर में ही था तो मांँ ने बॉक्स को अपने घर में रहने ले लिए इजाज़त दे दी, और बोली कि अगर काम वाली बाई नहीं आएगी तो उसके बदले सब काम घर का तुम्हें करना पड़ेगा। वो झट से मान गई। धीरे धीरे वो कितने सारे लोग के घर काम करने लगी। सब उससे घुलमिल गए थे। समय बीतता गया उसके घर से कभी उससे मिलने कोई नहीं आया। पाँच साल काम करने के बाद उसने एक जगह अपनी मेहनत से छोटी सी जमीन की टुकड़ी ख़रीद ली। और धीरे धीरे एक कोठरी बनावा लिया। ये ख़बर उसके बेटे को कहीं से पता चल गया कि उसके मांँ ने जमीन लेकर कोठरी बनावा लिया है तो दौड़ते दौड़ते मांँ के कदमों आकर गिर गया और माफ़ी