लम्हे हालात थे ऐसे कि रोशनी चुभने सी लगी बहती हुई दरिया सी जिंदगी रुकने सी लगी कब तक खामोशी की चादर ओढ़े रहते हम खुद ब खुद आवाज़ें दिल से निकलने सी लगीं उसकी इक झलक को तरसती थी निगाहें कभी कभी बरसात सी बरसने सी लगीं गुजरते लम्हे बरस से लगते थे भारी हर बरस उसकी यादें हम पर हंसने सी लगीं ।। #nojotohindi#लम्हे