।। अमर-प्रेम ।। दिल बेचैनियों के सागर में खो जाये यूँ सारी बेचैनियाँ इसकी मिट जाये जो मिटाना उसको तनिक भी आसां नहीं है कोरे कागज़ पे एक बार लिख जाये जो आकाश मुट्ठी में सिमट जाये जुगनू बन ये नन्हे से पर ,ज़रा से खुल जाये जो तीन पग में नप जाता है,जानता है ये संसार तबियत से पहला कदम उठ जाये जो लक्ष्य कोई भी हो,भेदना मुमकिन है इस आँख को चिड़िया की आँख दिख जाये जो प्रेम भी सदा के लिये अमर हो गया ज़हर पीकर भी मीरा अमर हो जाये जो पास नही है मेरे,कि उनसे वक़्त की गुज़ारिश करें मेरा सारा वक़्त अब,उनकी यादों में गुजर जाये जो @विकास ©Vikas sharma #emptystreets अमर-प्रेम