मेरे नन्हे हाथों का पापा की उंगली पकड़ चलना याद आज भी है हां मेरी हथेलियों पर आपकी उंगलियों के दस्तखत आज भी हैं। बेखौफ हवाओं सी बहती थी क्योंकि आप थामे रहते थे, कहां जमाने की चिंता थी कहां किसी से डरते थे। स्वच्छंद उड़ान वो आसमान की मेरी आंखो में आज भी है, हां मेरी हथेलियों पर आपकी उंगलियां के दस्तखत आज भी हैं। Dr Shalini Saxena ©Dr Shaleni Saxcenna #papa ke dasthkhat_Status