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गांव की सुन्दरता कभी मैं उन हरे भरे खेतों को देखूं

गांव की सुन्दरता
कभी मैं उन हरे भरे खेतों को देखूं
कभी उस पगडंडी पर चलती गांव की अप्सरा को देखूं 
ऐसा प्रतीत होता है कोई पुष्प खिल रहा है 
अपनी सुंदरता से खेतों को भी लज्जा रही है 
अल्हड़ जवानी में कूदते फांदते गुनगुनाती 
अपनी ही धुन में चली जा रही है
बादलों को भी घुमड़- घुमड़ कर आने को उकसा रही है 
जैसे ही उसके मधुर गीत का राग तेज हो गया 
बादलों का दिल भी जोर-जोर से बरसने लगा 
वर्षा में भीगती वह नहाती दिल में घर कर गई 
मेरे दिल में तो मानो हमेशा के लिए बस गई 
अब उसके दीदार को रोज खेतों में आता हूं
कनखियों से देख कर मन ही मन मुस्कुराता हूं।
©_muskurahat_ गांव की सुन्दरता
कभी मैं उन हरे भरे खेतों को देखूं
कभी उस पगडंडी पर चलती गांव की अप्सरा को देखूं 
ऐसा प्रतीत होता है कोई पुष्प खिल रहा है 
अपनी सुंदरता से खेतों को भी लज्जा रही है 
अल्हड़ जवानी में कूदते फांदते गुनगुनाती 
अपनी ही धुन में चली जा रही है
बादलों को भी घुमड़- घुमड़ कर आने को उकसा रही है
गांव की सुन्दरता
कभी मैं उन हरे भरे खेतों को देखूं
कभी उस पगडंडी पर चलती गांव की अप्सरा को देखूं 
ऐसा प्रतीत होता है कोई पुष्प खिल रहा है 
अपनी सुंदरता से खेतों को भी लज्जा रही है 
अल्हड़ जवानी में कूदते फांदते गुनगुनाती 
अपनी ही धुन में चली जा रही है
बादलों को भी घुमड़- घुमड़ कर आने को उकसा रही है 
जैसे ही उसके मधुर गीत का राग तेज हो गया 
बादलों का दिल भी जोर-जोर से बरसने लगा 
वर्षा में भीगती वह नहाती दिल में घर कर गई 
मेरे दिल में तो मानो हमेशा के लिए बस गई 
अब उसके दीदार को रोज खेतों में आता हूं
कनखियों से देख कर मन ही मन मुस्कुराता हूं।
©_muskurahat_ गांव की सुन्दरता
कभी मैं उन हरे भरे खेतों को देखूं
कभी उस पगडंडी पर चलती गांव की अप्सरा को देखूं 
ऐसा प्रतीत होता है कोई पुष्प खिल रहा है 
अपनी सुंदरता से खेतों को भी लज्जा रही है 
अल्हड़ जवानी में कूदते फांदते गुनगुनाती 
अपनी ही धुन में चली जा रही है
बादलों को भी घुमड़- घुमड़ कर आने को उकसा रही है