गांव की सुन्दरता कभी मैं उन हरे भरे खेतों को देखूं कभी उस पगडंडी पर चलती गांव की अप्सरा को देखूं ऐसा प्रतीत होता है कोई पुष्प खिल रहा है अपनी सुंदरता से खेतों को भी लज्जा रही है अल्हड़ जवानी में कूदते फांदते गुनगुनाती अपनी ही धुन में चली जा रही है बादलों को भी घुमड़- घुमड़ कर आने को उकसा रही है जैसे ही उसके मधुर गीत का राग तेज हो गया बादलों का दिल भी जोर-जोर से बरसने लगा वर्षा में भीगती वह नहाती दिल में घर कर गई मेरे दिल में तो मानो हमेशा के लिए बस गई अब उसके दीदार को रोज खेतों में आता हूं कनखियों से देख कर मन ही मन मुस्कुराता हूं। ©_muskurahat_ गांव की सुन्दरता कभी मैं उन हरे भरे खेतों को देखूं कभी उस पगडंडी पर चलती गांव की अप्सरा को देखूं ऐसा प्रतीत होता है कोई पुष्प खिल रहा है अपनी सुंदरता से खेतों को भी लज्जा रही है अल्हड़ जवानी में कूदते फांदते गुनगुनाती अपनी ही धुन में चली जा रही है बादलों को भी घुमड़- घुमड़ कर आने को उकसा रही है