यादों में पास और खुद को मुझसे दूर रखती है... अपने सीने में दफ़न, वो कई राज रखती है... बेइन्तहा इश्क न सही, बेइन्तहा नफ़रत वो आज करती है... गैरो की बातों को ही आजकल, वो तवज्जो दिया करती है... कभी मेरी मोहब्ब्त की आस में वो दिया जलाया करती थी... मगर आज उसी दिये से, उन यादों को मिटाने के लिए चिता जलाये बैठी है...! #152thquote