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बेरोजगारी में हालात बुरे हैं, कि वक़्त कुछ ऐसा है,

बेरोजगारी में हालात बुरे हैं,
कि वक़्त कुछ ऐसा है,
ना तो घर में अब इज्जत है
और ना ही जेब में पैसा है.

©Ravishankar Nishad
  बेरोजगारी में हालात बुरे हैं,
कि वक़्त कुछ ऐसा है,

बेरोजगारी में हालात बुरे हैं, कि वक़्त कुछ ऐसा है, #विचार

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