तुम्हें लगता है मेरे हो मगर मेरे नहीं हो तुम यकीन कितना भी दिलवाओ मगर मेरे नहीं हो तुम मेरी हर सुबह पर कब्जा ,मेरी हर शाम पर कब्जा मेरे हर ख्वाब में तो हो मगर मेरे नहीं हो तुम साथिया