माना की आज तू मुझसे दूर है वापस पाने का तुझे चढ़ा मुझपे फितूर है यूँ तो हर रूप तेरा लगे है प्यारा पर बंधे बालों में कुछ अलग ही नूर है चल रहा है आजकल जो कुछ हमारे दरमियाँ इसमें तेरा कुछ नहीं सब मेरा कुसूर है गलती ऐसी कि मौत की सज़ा भी कम लगे पर जो तू दे वो सज़ा मुझे मंज़ूर है तेरे लिए मैं यार से बैरी बना हूँ मेरे लिए तो तू आज भी कुदरत-ए-हूर है मेरे होने से तुझे अफसोस होता है माना तेरा होना ही मेरे जीवन का अनूठा गुरूर है है तैयार जतन करने को पहले से ज़्यादा इस दिल ने ठाना तुझे पाना ज़रूर है एक बार जो रूह एक हो जाए हमारी फिर कोई न कहेगा कि भारत मजबूर है #PoetInMe #ShayarInMe #KaviBhitar #BacchaMoGu #KusoorPaanaZaroor