#woshaam दुश्मनाने*हिसार में है,हमारा भी कोई,यानी के अर्शे आजम पे अब भी है निगहबान हमारा कोई//१*किला,घेराबंदी
अक्सर अल्लाह के*मोजजों पे,जो*
मुनाफिक पूछते है मुसलमां से,क्या अब भी है यहां महरबान तुम्हारा कोई//२
*धोखेबाज*चमत्कार
वो जल्लाद जो कर रहे है मुसलमा की*नस्लकशी,यूं लगे जैसे होने वाला है कहरे खुदावंदी का अब भी इशारा कोई//३
*नामोनिशान मिटाने की क्वायदे #Trending#writersofindia#poetsofindia#worldwar#poetrycorner#FreePalestine#shamawritesBebaak#shameonisrael