क्यों स्वर्णिम स्वप्न टूटता है ..... क्यों जीवन नफ्सों से छूटता है ...... क्यों गलतियां हो जाती पाक हिर्दय से ....... क्यों अपनापन अपनो से खोता है | शायद प्रकृति का यही नियम है ........ विपरीत परिस्थिति ही परिवर्तन है ...... आपाधापी और कोलाहल से ....... मनुष्य खुद को ढूंढता जीवनपर्यन्त है || क्यों प्रकृति अपना क्रोध बरसाती है ... अकारण अग्नि बाण चलाती है ....... क्यों किसान कालकोपित होता है ..... जो दुनिया का पालन करने वाला है .... क्यों कर्ज माफी को टुक-टुक देखता है | शायद सियासतदानो का यही नियम है .. जो इनको शिखर तक पहुँचाते है ..... धन्य-धान से परिपूर्ण करवाते हैं ..... ये उन्ही पर लाठियां बरसाते हैं ।। #yqhindi #yqbaba #yqdidi #farmer #love #justathought #poltics #youdontknow