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हूँ शब्दशून्य, हूँ भावशून्य, मैं प्रेम घृणा कैसे त

हूँ शब्दशून्य, हूँ भावशून्य, मैं प्रेम घृणा कैसे तौलूं।
दर्पण में मैं,'मैं' ना दिखती, बोलूं तो तुमसे क्या बोलूं।

©Akanksha Jain
  क्या बोलूँ

क्या बोलूँ #SAD

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