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"कुछ पाने की चाह में हर रोज़ निकलते हैं पहुँचते कही

"कुछ पाने की चाह में हर रोज़ निकलते हैं
पहुँचते कहीं नहीं फ़िर भी हर रोज़ गुजरते हैं 
ताउम्र सभी हसरतों के लिए ही जीते तो हैं
और मज़ा देखिये अपनी हसरतों से ही लड़ते हैं"
#बड़ी_हसरत_छोटी हसरत_दिमागी_कसरत

©सदैव
  #Yaatra