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मोहब्बत वो ! किसी की , हो गई ; देखो

मोहब्बत

वो   !  किसी   की ,  हो    गई   ;  देखो

पलकों को , आँसूओं से ; धो गई ,देखो

पसरा  है , सन्नाटा  ; आ रही , आवाजे

ढलती शाम के साथ कहीं खो गई देखो

कवि अजय जयहरि कीर्तिप्रद मोहब्बत... कीर्तिप्रद
मोहब्बत

वो   !  किसी   की ,  हो    गई   ;  देखो

पलकों को , आँसूओं से ; धो गई ,देखो

पसरा  है , सन्नाटा  ; आ रही , आवाजे

ढलती शाम के साथ कहीं खो गई देखो

कवि अजय जयहरि कीर्तिप्रद मोहब्बत... कीर्तिप्रद

मोहब्बत... कीर्तिप्रद