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#DelhiPollution आँख खुली तो देखा धुंध में डूबी थी

#DelhiPollution आँख खुली तो देखा धुंध में डूबी थी सहर 
बाहर जाकर देखा तो धुएँ में डूबा था शहर, 
दम में घुटन, आँखों में चुभन, आखिर था किसका असर,  
कवि हूँ तो यह मत समझ लेना कि दिल लगाने का होगा असर,
सच तो  है -   धीरे -धीरे हवा में घुल रहा था जहर, 
कितनी तेज हो रही है जिंदगी की रफ्तार, 
सड़कों पर इंशा से ज्यादा दौड़ती हैं बस व कार, 
साँस लेना हुआ दूभर, शरीर हो रहा बीमारियों का घर, 
आखिर कौन है इस बढ़ते प्रदूषण का जिम्मेदार, 
दिल में झांक कर देखो तो आएगी आवाज, 
असल में हम ही हैं अपनी मौत के जिम्मेदार, 
दरख्त कटते जा रहें, जंगलो का न रहा नामों निशां 
ऊँची-ऊँची इमारतें, धुंध में डूबी हर दिशा, 
क्या अब भी सोते रहेगें हम, क्या अब भी कुछ न करेंगे हम,? 
वृक्ष को बचाओ, कुछ दूर पैदल चल कर जाओ 
बेवजह ईंधन मत जलाओ | #रोक लो इस बढ़ते #प्रदूषण को, 
#रोक लो #यमुना जल #दूषण को ||
स्मृति.... Monika
#DelhiPollution आँख खुली तो देखा धुंध में डूबी थी सहर 
बाहर जाकर देखा तो धुएँ में डूबा था शहर, 
दम में घुटन, आँखों में चुभन, आखिर था किसका असर,  
कवि हूँ तो यह मत समझ लेना कि दिल लगाने का होगा असर,
सच तो  है -   धीरे -धीरे हवा में घुल रहा था जहर, 
कितनी तेज हो रही है जिंदगी की रफ्तार, 
सड़कों पर इंशा से ज्यादा दौड़ती हैं बस व कार, 
साँस लेना हुआ दूभर, शरीर हो रहा बीमारियों का घर, 
आखिर कौन है इस बढ़ते प्रदूषण का जिम्मेदार, 
दिल में झांक कर देखो तो आएगी आवाज, 
असल में हम ही हैं अपनी मौत के जिम्मेदार, 
दरख्त कटते जा रहें, जंगलो का न रहा नामों निशां 
ऊँची-ऊँची इमारतें, धुंध में डूबी हर दिशा, 
क्या अब भी सोते रहेगें हम, क्या अब भी कुछ न करेंगे हम,? 
वृक्ष को बचाओ, कुछ दूर पैदल चल कर जाओ 
बेवजह ईंधन मत जलाओ | #रोक लो इस बढ़ते #प्रदूषण को, 
#रोक लो #यमुना जल #दूषण को ||
स्मृति.... Monika