भरी महफ़िल में एक टूटा दिल खड़ा था मैं पास गयी तो पता चला कि वो मुझसे ही डरा था मैं बैठी, मैंने उसे प्यार से जोड़ना चाहा लेकिन उसे लगा की मैंने ही उसे "फिर तोडना चाहा"!!🥀 उसे बड़ा डर है , की सब कुछ फिर से वही हो जाएगा में उसे कैसे समझाउॅं की "अतीत स्वयं को नहीं दोहराएगाॅं" मुझे डर डर के' चाहना ' अब उसे ज्यादा सही लगता है मेरा करीब आना उसके लिए अपनी "आजादी "खोना है और सजाएं देता है वो मुझे, जिसकी में कभी "हकदार "ना थी ठहरे!और पूछे कभी वो खुद से...आखिर उसकी जिंदगी में ; "मैं कौनसा किरदार थी?✨ ©Kanika Lakhara #Angel # hindi poems# poetry