उसे लिखा गया उपमायें दी गईं बेहतर से बेहतर- बद्तर से बद्तर- वह न डरी न डगमगाई हाँ स्वभावानुरूप सकुचाई मीरा बनी मणिकर्णिका भी सीता भी तो सूर्पनखा भी। विश्व भर में परचम उसी का- तेज़ाब से दधकाई, आग से जलाई उसकी व्यापकता सिमट न पाई- कभी गौर से देखो तो पाओगे कि- औरत महज़ एक देह नहीं- पूरी की पूरी दुनिया होती है। ♥️ Happy Women's Day ♥️ ♥️ Challenge-501 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ इस विषय को अपने शब्दों से सजाइए।