सुख में तुमको पास बिठाए, कष्ट जो हो तो दूर भगाए, किसी को नहीं किसी से प्रीत, सुनो यही दुनिया की रीत। खुद का दुख ना क्लेश बढ़ाए, सुख दूजे का बहुत सताए, हार देख हो अपनी जीत, सुनो यही दुनिया की रीत। स्वार्थ में सबको मित्र बनाए, काम खत्म तो नजर चुराए, लोभ यहां हैं सबका मीत, सुनो यही दुनिया की रीत। सबल को ऊंचा और उठाए, निर्बल को तो सदा दबाए, यूं ही जीवन जाता बीत, सुनो यही दुनिया की रीत।। #दुनिया की रीत।