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मै गैरों सा था इस मेले मे जैसे पड़ा इक खिल्लोंना अ

मै गैरों सा था इस मेले मे
जैसे पड़ा इक खिल्लोंना  अकेले मे
ना किसी की नजर थी 
ना किसी की साजिस थी
फिर भी कत्ल हो गया अकेले मे
ना कोई अपना था ना कोई बेगाना 
फिर भी मेरा जनाजा काफ़ी सुन्दर था 
हुआ इक चमत्कार अचानक ऐसा था
मुझे पर प्यार लुटाया जा रहा था 
मुझे बाहो में लेकर नहलाया जा रहा था
जो मुझे नहीं चाहते फूटी आँखों से
वो भी मुझे दे रहे विदाई अश्कों से
मै सब सुन रहा देख रहा
मेरी माँ पड़ी बेहोश अकेले में
बह रहे अश्क़ उसकी आँखों से
छपट पड़ी बहन सीने पर मुझे जगाने को
पर कुदरत भेजा नहीं वापस जाने को
इधर पड़ी थी टूटी चूड़ियाँ मेरी जिंदगी की
कोई भी न था उठाने को
मांग रहा बेटा एक मिठाई खाने को
पर कोई भी न था लाने को
बेटी की आयी तोतली आवाज़
लेकिन उठ ना सका उसको गले लगाने को
भाई रो रहा सुबक रहा कोने मे
मै उठ ना सका गले लगाने को
पिता मेरे लगे तड़पने मुझे गोद मे उठाने को
खुदा भी पागल हो गया
वापस भेज दिया मुझे
फिर से उनके बहते अश्क़ मिटाने को

राजोतिया भुवनेश

©Rajotiya Bhuwnesh jangir मेरा जनाजा 

#Thoughts
मै गैरों सा था इस मेले मे
जैसे पड़ा इक खिल्लोंना  अकेले मे
ना किसी की नजर थी 
ना किसी की साजिस थी
फिर भी कत्ल हो गया अकेले मे
ना कोई अपना था ना कोई बेगाना 
फिर भी मेरा जनाजा काफ़ी सुन्दर था 
हुआ इक चमत्कार अचानक ऐसा था
मुझे पर प्यार लुटाया जा रहा था 
मुझे बाहो में लेकर नहलाया जा रहा था
जो मुझे नहीं चाहते फूटी आँखों से
वो भी मुझे दे रहे विदाई अश्कों से
मै सब सुन रहा देख रहा
मेरी माँ पड़ी बेहोश अकेले में
बह रहे अश्क़ उसकी आँखों से
छपट पड़ी बहन सीने पर मुझे जगाने को
पर कुदरत भेजा नहीं वापस जाने को
इधर पड़ी थी टूटी चूड़ियाँ मेरी जिंदगी की
कोई भी न था उठाने को
मांग रहा बेटा एक मिठाई खाने को
पर कोई भी न था लाने को
बेटी की आयी तोतली आवाज़
लेकिन उठ ना सका उसको गले लगाने को
भाई रो रहा सुबक रहा कोने मे
मै उठ ना सका गले लगाने को
पिता मेरे लगे तड़पने मुझे गोद मे उठाने को
खुदा भी पागल हो गया
वापस भेज दिया मुझे
फिर से उनके बहते अश्क़ मिटाने को

राजोतिया भुवनेश

©Rajotiya Bhuwnesh jangir मेरा जनाजा 

#Thoughts