जिंदगी एक पहेली हैं , सुख दुःख की हैं सहेली, हर सूं फैला बेवफाई का आलम, गुमसुम हैं अठखेली सकूं मयस्सर हो कुछ पलों के लिए ऐसी मेरी किस्मत कहां, ख्वाहिशों की हद पार होने लगी थी ऐसी मेरी हैसियत कहां, बस बहुत हो चुका , रिश्तों से घुटन सी होने लगी हैं, अब तो, दिल टूटने की आवाज़ ना आई पर शोर ज़्जबातों का है अब तो, सितमगर , मुस्करा के सितम करते हैं कि रिश्ता बना कंधेली, कठोर हृदय सा दिलभर, मुस्कुराहट भी देखो कितनी अकेली। ♥️ Challenge-572 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।