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परतंत्रता की बेड़ियों को तोड़ यह भूमि आजाद हुई ,

परतंत्रता की बेड़ियों को तोड़ यह भूमि आजाद हुई ,
 उसके बाद राजनीति में हमारी आजादी की कहानियां दब गई ,
अपने-अपने वीर चुनने की वजह से उनकी कुर्बानी शर्मसार हुई ,
जाति -पाती के नाम पर हर रोज या भूमि शर्मसार होती आई ,
झूठे आदर्शों को मान कर यह पीढ़ी हर हर रोज वीरों की शहादत शर्मसार करती आई ,
हिंदुस्तानी बोल कर गौरवान्वित करने की बारी आई तब तब जात पात में हिंदुस्तान में अपनी जगह बनाई ,
खिलाड़ी हो या वीर हर बार उन्होंने हिंदुस्तानी और हिंदुस्तान की गरिमा  बढ़ाई ,
पर विजय के बाद जात- पात में बैठकर हर बार उनकी विजय की गरिमा ठुकराई ,
झूठे आदर्शों को मानकर यह पीढ़ी  हर बार हर रोज मिलो की शहादत शर्मसार करती आई l
हर रोज ! हर रोज !

©ऋषभ वर्मा (R.V.) the truth
#Sea
परतंत्रता की बेड़ियों को तोड़ यह भूमि आजाद हुई ,
 उसके बाद राजनीति में हमारी आजादी की कहानियां दब गई ,
अपने-अपने वीर चुनने की वजह से उनकी कुर्बानी शर्मसार हुई ,
जाति -पाती के नाम पर हर रोज या भूमि शर्मसार होती आई ,
झूठे आदर्शों को मान कर यह पीढ़ी हर हर रोज वीरों की शहादत शर्मसार करती आई ,
हिंदुस्तानी बोल कर गौरवान्वित करने की बारी आई तब तब जात पात में हिंदुस्तान में अपनी जगह बनाई ,
खिलाड़ी हो या वीर हर बार उन्होंने हिंदुस्तानी और हिंदुस्तान की गरिमा  बढ़ाई ,
पर विजय के बाद जात- पात में बैठकर हर बार उनकी विजय की गरिमा ठुकराई ,
झूठे आदर्शों को मानकर यह पीढ़ी  हर बार हर रोज मिलो की शहादत शर्मसार करती आई l
हर रोज ! हर रोज !

©ऋषभ वर्मा (R.V.) the truth
#Sea