हमें खिलौना बना रही हो कोई हो शक तो ज़रूर कहना न अपने दिल में गुमान रखना कभी हो फीकी मेरी मुहब्बत तो बिलयक़ी तुमको है इजाज़त हमारी तरहा तलाश करना मगर ज़रा ये ख़याल रखना जो सपने ख़ुदको दिखा रही हो सहेलियो में मज़े मज़े से हमारी बातें बता रही हो जो अपनी कॉपी के पिछले पन्नों पे नाम ए शादाब लिख रही हो फिर उसपे अपना भी हर्फ़ ए अव्वल जो लिखते लिखते मिटा रही हो हमे खिलौना बना रही हो ©शादाब #shadab_poetry