ये सुकून मंजिलें पाते पाते रास्तों से मोहब्बत हो गई, अब रही ना आरजू मंजिल की, अब रास्ते ही लगने लगें हैं हर मंजिल नई, इन रास्तों ने ही तो संभाला है मुझे, वरना साथ मिलने वाले इन राहों ने, बस मेरा फायदा ही तो उठाया है... #कविता_शिव_की_कमल_से ©Shivendra Gupta 'शिव' #landscape