Nojoto: Largest Storytelling Platform

तेरे इश्क़ का खाका खींचा है क्या सुनना है जो कुछ मु

तेरे इश्क़ का खाका खींचा है क्या सुनना है
जो कुछ मुझे महसूस हुआ अल्फाज़ो मैं बुनना है

  तेरी रसमें तेरे रास्तों मे बे ऐतबारी थी 
फैसला अब मेरा है दर्द से निकलना या चुनना है

मैं तो बस सीधा सादा सा दिल का मारा था
 अब जैसे भी चाहे मुझको तो सांसें  गिनना  है

  कैसी ये लाचारी है मेरे ज़ख्म उखड़ते हैं
 जिस दिल के हाथों सम्भले थे उसमे ही झुलसना है

किस को मैं रोऊँ सारिम कब तक पछतावा अब 
तेरे इश्क़ का खाका खींचा है क्या सुनना है

©Mohammad sarim #Dard_e_dil #dardemohabbat #dardeishq
तेरे इश्क़ का खाका खींचा है क्या सुनना है
जो कुछ मुझे महसूस हुआ अल्फाज़ो मैं बुनना है

  तेरी रसमें तेरे रास्तों मे बे ऐतबारी थी 
फैसला अब मेरा है दर्द से निकलना या चुनना है

मैं तो बस सीधा सादा सा दिल का मारा था
 अब जैसे भी चाहे मुझको तो सांसें  गिनना  है

  कैसी ये लाचारी है मेरे ज़ख्म उखड़ते हैं
 जिस दिल के हाथों सम्भले थे उसमे ही झुलसना है

किस को मैं रोऊँ सारिम कब तक पछतावा अब 
तेरे इश्क़ का खाका खींचा है क्या सुनना है

©Mohammad sarim #Dard_e_dil #dardemohabbat #dardeishq