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बेचैन मन आज मन क्यों बेचैन है ? तकती तेरी नैन है

बेचैन मन आज मन क्यों बेचैन है ?
तकती तेरी नैन है 
तड़प कर तेरी बांहों में आ जाऊँ 
ये लगती ही इतनी हसीन है!
सुरेन्द्र कुमार उपाध्याय (मन्टू उपाध्याय) तिसरी गिरिडीह झारखंड भारत
बेचैन मन आज मन क्यों बेचैन है ?
तकती तेरी नैन है 
तड़प कर तेरी बांहों में आ जाऊँ 
ये लगती ही इतनी हसीन है!
सुरेन्द्र कुमार उपाध्याय (मन्टू उपाध्याय) तिसरी गिरिडीह झारखंड भारत