आहिस्ता आहिस्ता मुझे तोड़ता है वो, दश्त-ए-ग़म मे अकेला छोड़ता है वो. ये ज़िन्दगी बहुत ही लंबी है कहकर, रोज़ मुझे एक कतरे मे निचोड़ता है वो. सालों तक तो वो मेरा अपना ही था, चंद दिनों से मेरी कब्र कोड़ता है वो. कहीं टुकड़े मे बिखरा हुआ था मैं भी, फिर से तोड़ने के लिए बटोरता है वो. गले से लगा के रखा था तुमने कभी, हर तरफ से मुझसे मुंह मोड़ता है वो. आहिस्ता आहिस्ता मुझे तोड़ता है वो, दश्त-ए-ग़म मे अकेला छोड़ता है वो. अर्थ :- दश्त-ए-ग़म - ग़म का जंगल